रविवार, 9 अगस्त 2009

ब्लागिंग क्यों ?


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

काफी समय से ब्लागों के चक्कर लगाने के बाद ब्लाग बनाने की सूझी। एक ब्लाग बनाया ,पर निर्णय नहीं कर पाया कि क्या डालूँ ,कुछ गम्भीर और उपदेश टाइप की बातें या कुछ हल्की-फ़ुल्की चर्चा या कुछ कवितायें वगैरह।फिर सोचा कि ब्लागिंग क्यों?मेरे ब्लाग के बिना हिन्दी ब्लागिंग का भविष्य अंधकारमय है या मानव जाति के हित मे मेरा ब्लाग लिखना आवश्यक है ,ऐसा कोई रिक्वेस्ट भी अभी तक नहीं मिला है ।अन्तत: समझ मे आया कि ये पहचान की खोज है तथा छपास नामक गम्भीर रोग के लिये आसानी से उपलब्ध औषधि है।इससे ब्लागर को संतुष्टि मिलती है कि समाज के हित हेतु मैने अपना अनमोल विचार प्रस्तुत कर दिया है,अब समाज को चाहिए कि इससे फ़ायदा उठाकर अपना उत्थान करे।अब नासमझ लोग इसका फ़ायदा ना उठा पायें इस में ब्लागर की क्या गलती। समाज के प्रति अपने इस महती कर्तव्य को पूर्ण करने के पश्चात ब्लागर को एक अनिर्वचनीय सुख की प्राप्ति होती है जिसे लगभग ब्रह्मानन्द के आसपास रखा जा सकता है।इसी सुख से प्रेरित होकर ही मैनें इस ब्लाग का शीर्षक "स्वांत: सुखाय " रखा है।अब लोग इसे पढ़कर सुख का अनुभव करें या न करें ,मैनें तो ब्लागिंग चालू कर दी है भईया।