रविवार, 26 सितंबर 2010

क्या आनेवाली पीढ़ी श्रीकृष्ण,गणेश,हनुमान आदि आराध्य देवों को कार्टून कैरेक्टर के रूप में पहचानेगी?

क्या आनेवाली पीढ़ी श्रीकृष्ण,गणेश,हनुमान आदि आराध्य देवों को कार्टून कैरेक्टर के रूप में पहचानेगी?
                               चर्चा के दौरान मेरे छोटे भाई ने ये प्रश्न उठाया था ।आजकल कार्टून चैनल्स मे इस तरह के सीरियल्स की बाढ़ आ गयी है ,जिसमे श्रीकृष्ण,गणेश,हनुमान आदि आराध्य देवों को सुपर हीरो की तरह कई कारनामे करते दिखाया जा रहा है ।आज ही कार्टून नेटवर्क पर "कृष्णा और बलराम " नामक सीरियल आ रहा था जिसमे कृष्ण और बलराम नकाब लगाकर अपने मित्र  ऊधो को किसी राजा की कैद से छुड़ाने जाते हैं । इसी तरह पोगो में हनुमानजी बालक के रूप मे एक स्कूल मे पढ़ते है और आवश्यकता पड़ने पर अपने रूप मे आ कर लोगों की मदद करते हैं।चैनल वाले  स्पाइडरमेन , सुपरमेन , शक्तिमान  आदि कहानियों से प्रेरित होकर रोज नई नई कहानियाँ बना रहे हैं और प्रसारित कर रहे हैं ।बच्चों के कार्टूनप्रेमी मन को ये कहानियाँ बहुत भाती हैं ।लेकिन इससे बच्चों के  मन मे उनकी छवि एक  कार्टून कैरेक्टर की तरह बन रही है ।
                   अनिमेशन एक नई और सुग्राह्य तकनीक है ,इसकी मदद से ब्च्चों को  अगर श्रीकृष्ण,गणेश,हनुमान की  एवं अन्य पौराणिक कहानियाँ  बताई जायें तो ज्यादा उचित होगा । अगर सुपरहीरो टाइप की कहानी दिखानी है तो उसके लिये बहुत सारे स्थापित सुपर हीरो हैं ।

रविवार, 15 अगस्त 2010

चला वाही देश

एक भावविभोर कर देने वाला  मीरा भजन  लता मंगेशकर की आवाज में ( यू - ट्यूब से साभार ) जैसा बेहतरीन भजन ,वैसी ही बेहतरीन गायिकी

सोमवार, 7 जून 2010

नियमितता बनाम अनियमितता

आज बहुत दिनों के बाद अपना ब्लाग खोला ।देखा तो आगंतुक घड़ी १७३८० की संख्या दिखा रही है ।इस बीच अपने ब्लाग को छोड़ ब्लाग जगत मे विचरण कर रहा था । कौन क्या लिख रहा है,कौन क्या टिपिया रहा है,कौन कहाँ गरिया रहा है ।इस दौरान यहाँ इतने लोग मुझे खोजने आये और मै उपलब्ध नहीं था ।अत: गलती के सुधार हेतु तथा अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिये ये पोस्ट ठेल रहा हूँ ।

आगंतुक घड़ी में १७३८० की संख्या देखकर मन प्रफ़ुल्लित है।सोचता हूँ कि नियमित पोस्ट लिखूँ ,तो एक दो महीनोँ मे ये संख्या १,००,००० तक पहुँच जायेगी । फिर गूगल बाबा ,एड वाले बाबा सब पीछे पीछे घूमेंगे ,- संजीव भाई हमारा भी एड अपने ब्लाग मे डाल दो ना।फिर तो हर पोस्ट में टिप्पणियों की धूम रहेगी । समीर भाई,ज्ञान भाई, अनूप भाई,सुरेश भाई और भी जो ब्लाग जगत के धुरंधर भाई लोग हैं सब यहाँ टिपिया कर जायेंगे ताकि पाटकों को उनका लिंक मिलता रहे ।

सोचता हूँ कि अब नियमित हो ही जाऊँ ,हालांकि इस मामले मे मेरा पुराना रिकार्ड ठीक नहीं है।प्रात:भ्रमण कई बार शुरु किया ,जिम भी ज्वाइन किया ,पर कुछ दिनों बाद सद्बुद्धी आ जाती है कि शरीर को कष्ट देना उचित नहीं ।प्रकृति ने नींद सोने के लिये दिया है ,अलार्म लगाकर जगने के लिये नहीं।कहा भी गया है - शरीरमाद्यम खलु धर्म साधनम।सुक्ष्म रुप से देखा जाये तो जिस तरह कार्य-कारण एकरूप हो जाते हैं उसी तरह साध्य और साधन भी एकरूप हो जाते हैं अर्थात शरीर को कष्ट देना या उसके विरोध मे जाना ,धर्म के विरोध मे जाना है।हम भारतीय लोग धार्मिक लोग हैं हम लोग भला धर्म के विरोध मे कैसे जा सकते हैं और प्रात:भ्रमण जैसे कार्य मे कैसे संलग्न हो सकते हैं।यही सोच कर मै खिड़की बंद कर सो जाता हूँ ।

लेकिन अब सोचता हूँ कि नियमित हो ही जाऊँ ।