काफी समय से ब्लागों के चक्कर लगाने के बाद ब्लाग बनाने की सूझी। एक ब्लाग बनाया ,पर निर्णय नहीं कर पाया कि क्या डालूँ ,कुछ गम्भीर और उपदेश टाइप की बातें या कुछ हल्की-फ़ुल्की चर्चा या कुछ कवितायें वगैरह।फिर सोचा कि ब्लागिंग क्यों?मेरे ब्लाग के बिना हिन्दी ब्लागिंग का भविष्य अंधकारमय है या मानव जाति के हित मे मेरा ब्लाग लिखना आवश्यक है ,ऐसा कोई रिक्वेस्ट भी अभी तक नहीं मिला है ।अन्तत: समझ मे आया कि ये पहचान की खोज है तथा छपास नामक गम्भीर रोग के लिये आसानी से उपलब्ध औषधि है।इससे ब्लागर को संतुष्टि मिलती है कि समाज के हित हेतु मैने अपना अनमोल विचार प्रस्तुत कर दिया है,अब समाज को चाहिए कि इससे फ़ायदा उठाकर अपना उत्थान करे।अब नासमझ लोग इसका फ़ायदा ना उठा पायें इस में ब्लागर की क्या गलती। समाज के प्रति अपने इस महती कर्तव्य को पूर्ण करने के पश्चात ब्लागर को एक अनिर्वचनीय सुख की प्राप्ति होती है जिसे लगभग ब्रह्मानन्द के आसपास रखा जा सकता है।इसी सुख से प्रेरित होकर ही मैनें इस ब्लाग का शीर्षक "स्वांत: सुखाय " रखा है।अब लोग इसे पढ़कर सुख का अनुभव करें या न करें ,मैनें तो ब्लागिंग चालू कर दी है भईया।
रविवार, 9 अगस्त 2009
ब्लागिंग क्यों ?
काफी समय से ब्लागों के चक्कर लगाने के बाद ब्लाग बनाने की सूझी। एक ब्लाग बनाया ,पर निर्णय नहीं कर पाया कि क्या डालूँ ,कुछ गम्भीर और उपदेश टाइप की बातें या कुछ हल्की-फ़ुल्की चर्चा या कुछ कवितायें वगैरह।फिर सोचा कि ब्लागिंग क्यों?मेरे ब्लाग के बिना हिन्दी ब्लागिंग का भविष्य अंधकारमय है या मानव जाति के हित मे मेरा ब्लाग लिखना आवश्यक है ,ऐसा कोई रिक्वेस्ट भी अभी तक नहीं मिला है ।अन्तत: समझ मे आया कि ये पहचान की खोज है तथा छपास नामक गम्भीर रोग के लिये आसानी से उपलब्ध औषधि है।इससे ब्लागर को संतुष्टि मिलती है कि समाज के हित हेतु मैने अपना अनमोल विचार प्रस्तुत कर दिया है,अब समाज को चाहिए कि इससे फ़ायदा उठाकर अपना उत्थान करे।अब नासमझ लोग इसका फ़ायदा ना उठा पायें इस में ब्लागर की क्या गलती। समाज के प्रति अपने इस महती कर्तव्य को पूर्ण करने के पश्चात ब्लागर को एक अनिर्वचनीय सुख की प्राप्ति होती है जिसे लगभग ब्रह्मानन्द के आसपास रखा जा सकता है।इसी सुख से प्रेरित होकर ही मैनें इस ब्लाग का शीर्षक "स्वांत: सुखाय " रखा है।अब लोग इसे पढ़कर सुख का अनुभव करें या न करें ,मैनें तो ब्लागिंग चालू कर दी है भईया।
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Pathakon se ek samvaad ho tabhee lekhan me arth hai...chahe wo blog pe ho ya kitabon ke zariye!
जवाब देंहटाएंhttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
बस, स्वान्तः सुखाय लिखते रहिए, रचनाएं आती जाएंगी:)
जवाब देंहटाएंGo ahead.
जवाब देंहटाएंagrashar rahiye parinaam bhi achchha milega .badhai ho is naye kadam ke vaste .
जवाब देंहटाएंजो भी सूझी अच्छी सूझी ।
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लोगिंग में गीता के उपदेश के अनुसार सिर्फ़ ब्लोग पोस्ट लिखते रहना चाहिये, बाकी किसी भी चीज जैसे पाठक टिप्पणी वगैरह के मोह में नहीं पडना चाहिये । यही एक सफ़ल ब्लॉगर के लक्षण हैं । ऐसे ब्लॉगर जल्द ही स्थितिप्रग्य स्थिति को प्राप्त होते हैं ।
शुभकामनायें !
Bahut Barhia...swagat hai... isi tarah likhte rahiye...
जवाब देंहटाएंhttp://hellomithilaa.blogspot.com
Mithilak Gap...Maithili Me
http://muskuraahat.blogspot.com
Aapke Bheje Photo
http://mastgaane.blogspot.com
Manpasand Gaane
जवाब देंहटाएंआगामी रचनाओं की प्रतीक्षा है ।
blog ki duniya aap ka bahen pasare intezar kar rahi hai
जवाब देंहटाएंprateekshaarat
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा है जी आपने
जवाब देंहटाएंअर्कजेश जी कि टिप्पणी को दोबारा पढ लीजियेगा
आगामी चिट्ठियों का इन्तजार रहेगा
प्रणाम
Shubh Kamnayen...
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